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65 वर्षों की कटीली राहो पर सिद्धान्तों के साथ चल कर एक विचारधारा को जीवन प्रयत्न जिंदा रखने वाली शख्सियत का हमारे बीच से यूँ चले जाना निश्चित ही एक स्वर्णिम सैद्धान्तिक युग का अंत होने के समान ही है।
क्योंकि श्रद्धेय अटल जी किसी एक पार्टी या विचारधारा का नाम नहीं बल्कि राष्ट्र नव चेतना जन जागृति व राष्ट्रप्रेम का एक जीवंत उदाहरण था।
इसीलिए वह विभिन्न विचारधाराओं में भी एक सर्वमान्य नेता के रूप में सदैव स्वीकार्य थे। जिनका मकसद राज धर्म को सर्वोपरी मानते हुए ही आगे बढ़ना था।जो उनकी एक कविता में भी झलकता था की क्या खोया क्या पाया।जीवन की ढलने लगी सांझ
उमर घट गई
डगर कट गई
जीवन की ढलने लगी सांझ।
बदले हैं अर्थ
शब्द हुए व्यर्थ
शान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ।
सपनों में मीत
बिखरा संगीत
और यह एक शाश्नत सार्वभौमिक सत्य भी है की सत्तायें कभी शतायु नहीं हुई ये एक क्रमानुसार परिवर्तित होती रहती है| उसी प्रकार जिस तरह से मृत्यु भी एक अटल सत्य ही है। बस रह जाती है उसकी खट्टी मिठी यादें जिनकी समीक्षा उपरांत ही परितोषिक का निर्धारण भी होता है।
और उसी का सारांश होता है जीवन का सार की हमने देह त्याग कर क्या खोया क्या पाया।
युग पुरुष वाजपेयी जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
#सोहन काग अजन्दा
परिचय:
नाम: सोहन काग
पिता: स्व श्री मेघाजी काग
शिक्षा: स्नातक
अनुभव:
1998 से आज तक दैनिक जागरण
वर्तमान
दैनिक- संझा लोकस्वामी,
समाचार पत्र- दैनिक चैतन्य लोक
वेब चैनल- खबर हलचल न्यूज़
साप्ताहिक अपराधों की दुनिया
उपलब्धि:
साहसिक उपहार केंद्रीय विधि मंत्री व सिर्वी महासभा के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री पी पी चौधरी बिलाड़ा राजस्थान द्वारा सम्मानित|
धार (मध्यप्रदेश)
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