समय चक्र को हाथो के वक्र को बदलते देखा है दिल के ग़मो को आखो के सिकन को बदलते देखा है ये क्या हुआ कि भृकुटी तन गयी मन सरोवर मे एक अग्नि रेखा बन गयी चंचल चपल चतुर वाक्य,कुछ ऐसा ही कर गयी अब घात क्या प्रतिघात क्या,आत्मसात दिल […]
काव्यभाषा
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होकर हालात का शिकार बदल जाती है नीयत का क्या है बार-बार बदल जाती है ========================== करती है वादे सारी ज़िंदगी के ये दुनिया चलके साथ कदम दो-चार बदल जाती है ========================== पहले तो बनाती है आशना हमें अपना धीरे-धीरे छीन कर करार बदल जाती है ========================== बुझने से पहले […]
