मेरे अंतस्थल में जो है संवेदनाओं का ताना-बाना तुम्हारा ही तो है बुना मैं तो निपट था अनजाना. मैं ठिठुरती सर्दी-सा, था बहुत सहमा-सहमा, कड़क कॉफी की महक-सी तुम ,मेरे भीतर गई समा. नाजुक उंगलियों की छुअन तेरी भर गई मुझमें चिर नरम -सिहरन कहने का अंदाज़ नया वो वो […]

देश के वीर जवानों ने अपनी भारत मां की शान बढ़ायी है । जब-जब बूरी नजर दुश्मनों ने डाली है वीर जवानों ने उनकी अच्छी से बैंड बजायी है। चाहे युद्ध हो या हो वोर्डर बूरा करोगे तो चलेगा बूलडोजर। अब न कोई फिक्र होगा फिजाओं में केसरिया और हरा […]

कुछ इस कदर आँखो के सामने मंजर बदल जाता है । अभी पलके खुली हुई थी तब सब कुछ खुशियों से भरा था। एक जरा आँखे झपकाई तो दुखो का शैलाब उमड़ आता है। अपने बुने सपने पूरे ना होने पर जब आँखे लाल हुई। तब अपनी ही आँखो का […]

मेरी चाहत का असर देख लेना मुझे भी  एक  नजर  देख  लेना तुझे भुला न सका पल भर के लिए आके कभी रह गुजर  देख लेना लिखी है गीत गज़ल मैंने कविता उठा के अखबार खबर देख लेना तुम पिलावोगे तो खुशी से पी लेंगे  देके  कभी तुम जहर  देख  […]

अपना मध्यप्रदेश निराला अपना मध्यप्रदेश, सभी प्रान्तों में है आला अपना मध्यप्रदेश। बसा सतपुड़ा बीच पचमढ़ी दर्शनीय स्थल, विन्ध्यवासिनी मातु नर्मदा बहे बन्धु! कलकल। लगे स्वयं में जैसे शिवाला अपना मध्यप्रदेश, सभी प्रान्तों में है आला अपना मध्यप्रदेश।। भीमबैठका वाली गुफाएँ देख हों सब हर्षित, खजुराहो के मन्दिर जग में […]

भगवान बुद्ध से भी ऊंचाई पर पहुंच गए सरदार पटेल लो शुरू हो गया उनके नाम पर राजनीति का नया खेल उस महान विभूति ने किया देश को एक पर उनका स्टेच्यू बनाने वाले नहीं है धर्म निरपेक्ष अच्छा होता पटेल के साथ साथ इंदिरा को भी याद कर लेते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।