मैने की आईने से दोस्ती संवारता खुद को जाने क्यों लगता मुझे प्यार हो गया नयन कह जाते बिन बोले नींद जाने कौन उड़ा गया निहारते रहते सूनी राहों को शब्दों को गढ़ता बन शिल्पकार दिल के अंदर प्रेम के ढाई अक्षर सहंम सी जाती अंगुलियां हाथों की अंगुलियां बनी […]
काव्यभाषा
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