सुनील वर्मा ऐ भारत के नौजवानों, कुछ नहीं रखा है बातों में , बंद करो दहेज़ प्रथा को या खुद चूड़ी पहनो हाथों में। बापू की वो प्यारी है, घर में राजदुलारी है.. छोड़ के सबकुछ अपना, वो आँगन तेरे आती है। दुनिया में तू हूँकार भरता है, काम लाखों […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा