अमृत बेला जो उठते है याद प्रभु को जो करते है प्रभु उनसे बतियाते है अपना वारिस बनाते है वे ही सदा पुण्य पाते मनोरथ उनके पूरे हो जाते असीम सुख वे पाते है स्वर्णिम समय अमृत बेला याद प्रभु को करो बैठ अकेला जो चाहोगे मिल जायेगा संकट सारा […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
“नारी” नम्र,नियम,न्याय,निष्ठा से परिपूर्ण एक अद्भुत निकेतन है! “नारी” संस्कृति,सभ्यता,संवेदना,संकल्प,स्वाभिमान,सम्मान, सद्गुण एवं स्नेह की सर्वश्रेष्ठ संरक्षिका है! “नारी” यानी सदैव क्रियाशील रहना,हलचल करना एवं सदैव नेतृत्व करना! “नारी” तिरस्कार,निरादर,अवहेलना की नहीं बल्कि स्वीकार्य,आदर एवं अपेक्षाओं की प्रतिमूर्ति एवं प्रतीक है! “नारी” बाह्य ख़ूबसूरती में लिपटा लिबास नहीं बल्कि अंतर्मन की […]