जिस जिसने मैं को चाहा विनाश उसी का हो गया मैं से उपजता है रावण संहार उसी का हो गया मैं से जन्म लेते विकार पतन का कारण बन जाते अशान्त हो जाता जीवन अपने भी पराये हो जाते मैं छोड़कर जीकर देखो फलदार पेड़ बनना सीखो निरहंकार हो झुक […]

मई जून का माह है ऐसा,लगे कि सब जल जायेगा इस गर्मी से हमे बचाने,बादल कब जल लायेगा।। कोई कहता उमस बढ़ी है,किसी के गर्मी सिर पे चढ़ी है खून किसी का उबल रहा है,किसी की बीपी सबपे बढ़ी है जो चिड़ियां दौड़ा करती थी,देखो कितनी सुप्त पड़ी है सोचूं […]

बच्चपन की धुधली सी यादें होठो की प्यारी सी मुस्कुराहट घंटो एक दूसरे को तंग करना शायद अब याद आ रहा है ।। स्कूल दिनो की वो मस्ती बिना मतलव का झगरना एक दूसरे को नीचा दिखाना शायद अब याद आ रहा है ।। अपनी नटखट पन से कभी कृष्ण,तो […]

*साहित्य*  :- भारतीय साहित्य विश्व की प्राचीनतम साहित्य में से एक है। पहले साहित्य को गाकर सुनाया जाता था। फिर धीरे-धीरे गायन से लिखित रूप में इस का उद्भव और विकास हुआ । साहित्य की प्रारंभिक कृतियां गीत एवं छंद के रूप में होती थी ।और यह धीरे-धीरे बदलता गया […]

छत पर मेरे, बैठी चिड़िया माँगे मुझसे पानी रे।1। बून्द बून्द को तरसे आँगन झुलसे बाग बागानी रे। ताल तलया सूखे सब रीता आँख का पानी रे। बादल रूठे,रूंख पियासे रूठी बरखा रानी रे। काले मेघा भूल गए मग बिसरा चुल्लू पानी रे। छत पर मेरे ,बैठी चिड़िया माँगे मुझसे […]

कविता सदा से ही मनुष्य के अंत:करण में उठे भावों को स्वर देने का एक सशक्त माध्यम रही है । समय के साथ कविता के विषय, शिल्प एवं भाषा में परिवर्तन होते रहे है। पुरातन विषय परिवर्तित होकर समसामयिक हो गये है पर अनेक विषय ऐसे है जो मनुष्य के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।