जीवन के कुछ पन्नों पर कुछ लकीरें बन जाती हैं कुछ टेढ़ी-मेढी कुछ ऊबड़-खाबड़ मिटती बनती लकीरें आती-जाती रहती हैं लकीरें हिचकोले खाती हुई लकीरें फिर भी हौसला अफजाई करती ये लकीरें चुपचाप चलती हैं जीवन की गति की निरंतरता में। #आराधना राय” बलियावी” बलिया ,उत्तर प्रदेश  Post Views: 39

बारिस हो इतनी,कि सब नफरते धुल जाये | आपस के हमारे सब गिले-शिकवे धुल जाये || इन्सानियत तरस गयी है,अब मोहब्बत के शैलाब को | मन-मुटाव को छोड़ कर एक दूजे के गले मिल जाये || फट गये है जो दिल,आपस के मन मुटाव से | सिलाई कभी न उधडे,ऐसे […]

ये कैसा जमाना आया है हर जगह छल-प्रपंच और माया है देखने में तो सुन्दर काया है अन्दर प्रेत की छाया है भादों मास में भी धूल जमा है हर घर में गमले में फूल लगा है पेड़ों का कोई निशान नहीं है शायद कोई अब इंसान नहीं है प्रकृति […]

भारतीय संसद में इन दिनों प्रस्तावित शिक्षा नीति को लेकर चर्चा चली तो नीति बनने से पहले ही हिंदी थोपने का मिथ्या आरोप गढ़कर हिंदी का विरोध होना भी शुरू हो गया।जिस पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखियाल निशंक को यह तक कहना पड़ा कि हिंदी किसी पर […]

मरु नवकिरण (अप्रेल-जून 2019) लघुकथा विशेषांक सम्पादक: डॉ. अजय जोशी  अतिथि सम्पादक: डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा समीक्षक: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी मरुधरा पर गिरने वाली पहली अरुण किरण से ही बालू मिट्टी के अलसाए हुए कण रंग परिवर्तित कर चमकने लगते हैं। तब वे अपने आसपास के घरोंदों को भी रक्त-पीत वर्ण का […]

ये है वर्तमान परिवेश, ये है वर्तमान परिवेश।। दम तोड़ती है इन्सानियत,इन्सान बचा है शेष कोई है अधकचरा शिक्षक, नेतागीरी करता गपशप छोटी सी भी गलती पाकर, शिक्षक पीटे थपथप थपथप बच्चा जो स्कूल को जाये, देता है शिक्षक को गाली जब घरवाले ये सुनते है, देते शाबासी और ताली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।