रमाबाई गुजर गईं । इस समाचार को जिसने भी सुना वह ही आश्चर्य में पड़ जाता ‘‘ऐसा कैसे हो सकता है भला……अभी चार-पांच दिन पहिले तक स्कूल में काम कर रही थी वह बीमार भी नहीं थी फिर अचानक कैसे गुजर गई । सभी का आश्चर्य उस समय और बढ़ […]

सन्त सिपाही भारत के, तुमको लख लख करें नमन। तुम्हारे पावन चरणों में, हम श्रद्धा सुमन करें अर्पण। मिश्री सी मधुरता वाणी में, बड़े सहज, सरल विचार। भक्ति ,शक्ति का संगम हो, धर्म ही जीवन का सार। वीर हुआ ना तुम सा कोई, ना तुम सा कोई बलिदानी। इतिहास के […]

करो न गम की बाते,आंखो को यू नम न करो | रखो दिल मे तसल्ली ,यू दिल मे गम न करो || पास बैठा हूँ मै तुम्हारे,जरा मुड़ कर तो देखो | प्यार करती हो मुझको बस उसे कम न करो || अभी दम है मेरे प्यार मे,उसे मरा न […]

जहाँ मिलती है अम्बर और धरती वो क्षितिज कहलाता है निराला सा है बंधन भ्रम हो के भी सबको भाता है दिखता है दूर मगर पर मुकम्मल सा नजर आता है न होके भी दिखाई दे ऐसा बंधन सबको भाता है स्वार्थ के जहान में यथार्थ का है दर्शन काश […]

उषा की लालिमा का जब होने लगे एहसास पूरब से आसमान में जब होने लगे उजास उससे पहले उठ जाओ बुला लो प्रभु को पास प्रभु की याद मे जब हो दिन की शुरुआत काम सभी अच्छे होगे मन मे रहेगी मिठास प्रभु परम् पिता हमारे हम सब उनकी सन्तान […]

बूंद-बूंद पानी का प्रवाह देता है एक धारा को पतली -पतली सी धाराएं गति देती हैं एक नदी को बलखाती ,इठलाती अठखेलियां करती चलती है अपनी ही यौवन की मस्ती में जीवन को पोषित करती है बाधाओं को अपने प्रचंड प्रवाह से लांघती पार करती हैं अनंत ऊंचाइयों, गहराइयों को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।