#शशांक दुबे क़लम में धार वही है,पर जज़्बात बदल गये। इतना सहा ज़माने को,हालात बदल गये। लहज़ा वही है बातों का,अल्फ़ाज़ बदल गये। मधुर है गीत उसी तरह,बस साज़ बदल गये। कोई कहाँ रहा युगों तलक,तख्तोंताज़ बदल गये। चंद टुकड़ों के ख़ातिर,मोहताज़ बदल गये। कल कुछ और ही थे,तुम आज […]
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अर्पण जैन ‘अविचल’ ये उँची-लंबी, विशालकाय बहुमंज़िला इमारते, सरपट दौड़ती-भागती गाड़ीयाँ, सुंदरता का दुशाला औड़े चकमक सड़के, बेवजह तनाव से जकड़ी जिंदगी, चौपालों से ज़्यादा क्लबों की भर्ती, पान टपरी की बजाए मोबाइल से सनसनाती सभ्यता, धोती-कुर्ते पर शरमाती और जींस पर इठलाती जवानी, मनुष्यता को चिड़ाती व्यवहारशीलता, मेंल-ईमेंल में […]