गर्दभ वाहन पर होकर सवार, शीतला माता देने आई दुलार। आगे चलें हनुमान,पीछे भैरव, माता देने आई शीतल बहार। दही संग शक्कर-चावल का, नेवैध बने अमृती रसधार। ठंडा भोजन बड़ा हीं गुणकारी, रक्तचाप रोग में नियंत्रण कार। चेचक,असाध्य रोग दूर होय, आएं जो रोगी माता के दरबार। तन-मन को रखो […]
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बहुत-सी बातें कहती दिनभर, फिर भी अनकही सी रह जाती.. गृहस्थी की चिंगारियों को अपने आंचल से ढँककर छुपाती, खुद अस्त-व्यस्त होकर भी.. सबकी जिंदगी मे रंग भरती.. अंदर-ही-अंदर धधकती, मुंह पर झूठी मुस्कान बिखेरती.. ये सुप्त ज्वालामुखी-सी औरतें….। लीपे-पुते चेहरे से झाँकती, उदासी की लकीरें दबा नहीं पाती.. प्याले […]