बाजते ढोल मृदंग, फड़कते अंग-अंग कहकर प्रियतम, मुझको पुकारती। कजरारे ये नयन, श्याम वर्ण ये बदन तितलियों के संग-संग आंगन बुहारती॥ नाक नथनी सजती, पैर पायल बजती मनभावन सजनी, दर्पण […]
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व्यासजी धर्म प्रवचनकर्ताओं में सबसे अग्रणी माने जाते हैं,सच्चे मार्ग दर्शक ही गुरु कहलाने के अधिकारी हैं,इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्कन्दपुराण-गुरुगीता प्रकरण में गुरु शब्द की व्याख्या करते हुए कहा गया है। ‘गुकारस्त्वन्धकारः स्याद् रुकारस्तेत उच्यते। अज्ञान ग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः॥’ […]