कमोबेश यह स्थिति भारत की सभी भाषाओं की है। यदि हम अपनी भाषाएं ही न बचा पाए तो,भारतीय धर्म- संस्कृति,ज्ञान-विज्ञान,बौद्धिक-संपदा व आध्यात्म ही नहीं,भारतीयता को बचाना भी असंभव है। जब हम भारत की भाषाओं और भारतीयता से दूर होंगे तो,आने वाली पीढ़ियों में भारत के प्रति प्रेम यानी राष्ट्रप्रेम कैसे बचेगा? […]

आओ मिलकर एक मिशन चलाएं, बेटी बचाएं बेटी पढ़ाएं। बेटी दो कुलों की लाज होती है, आधी आबादी होते हुए पूर्ण समाज होती है। बेटे तो साथ रहकर कर्तव्य निभा लेते, बेटियां दूर रहकर भी माँ-बाप के सिर का ताज होती है। इनको भ्रूण हत्या से बचाएँ, बेटी बचाएँ, बेटी […]

काले-काले बादल छाए,आई बूंदें सावन की। विरहा से तपती विरहन को,आई यादें साजन की॥ यादों की रिमझिम बरखा ने       भिगो दिया प्यासा तन-मन। महक उठी यादों की बगिया,       दहक उठी चंचल चितवन। बिखर गया काजल पलकों का       राह तके मन भावन […]

मिल गए नैन से नैन, भरमा गए, जग हमारे दिलों बीच अरमा गए। मैं उन्हें देखकर क्या करूँ,क्या कहूँ, देखकर वे मुझे,आज शरमा गए॥ फलक से पूर्णिमा का चाँद धरती पर उतारा है, बहुत मासूम सुन्दर शुभ्र कोमल और प्यारा है। भला कैसे बना दूँ मैं उसे गुलजार-ए-महफ़िल, कई रातों […]

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मेरे अरमानों को रब ने बरक़त बख्शी है, ए रब बस अब तू सुकूँ की दाद दे। मेरे जिस्म ने हर गम का लुफ़्त उठाया है, अब बस इसे दुरुस्तगी की दाद दे। मैंने घंटों खुद के साथ गुज़ारे हैं, अब बस तू मुझे महफ़िल की दाद दे। मैं चला […]

खुशियों का भला कहाँ कोई ठिकाना होता है, बस गम है जिनका आना और जाना होता है। रहना तो होगा इक पल के लिए खुद से दूर, अपनों के बीच रहकर भी दूर जमाना होता है। जब तक है ख्वाब,नींद नहीं रहती आँखों में, हकीकत में मानो तो यह एक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।