कई वर्षों बाद अपने गाँव जाऊंगा, जाऊंगा और मिलूंगा सबसे… आराम से अपने गाँव,मोहल्ला,स्कूल,पीपल का पेड़, काका-काकी,अपने खेत-खलिहानों,पुराने कुए, कालू बनिया और महुए का पेड़ सबसे… और सभी तो याद है लगभग पर भूल चूका हूँ, महुए का पेड़ उसकी लम्बाई उसका आकार पत्तियां और उसकी जगह, क्योंकि […]
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आँगन-आँगन उग रहे,भौतिकता के झाड़। संस्कारों की तुलसियाँ,फेंकी गई उख़ाड़॥ मन में जब पलने लगें,ईर्ष्या द्वेष विकार। तब निश्चित ही जानिए,नैतिकता की हार॥ जिनका जीवन मंत्र है,कर्म और पुरुषार्थ। वे जन ही समझे सदा,धर्मों का भावार्थ॥ जिनके मन पैदा हुआ,वैचारिक भटकाव। डूबी है उनकी सदा,भवसागर में नाव॥ कर्म भूल जब-जब […]