आते-जाते तो नित्य रहे, सबने जाना स्कूल गए। हाजरी बनी पर मन न बना, बच्चों को सिखाना भूल गए। अपनी गरिमा न जान सके, खुद कैसे राष्ट्र निर्माता हैं। आजीवन हो जो आभारी, उनके ही भाग्य विधाता हैं। औरों की निष्ठा देख रहे, खुद भी उनके अनुकूल गए। हाजरी बनी […]

मौसम है, सावन की बहारों का मौसम है, नदी के किनारों का मौसम है, दिल में धड़कते मोहब्बत के अंगारों का। काली घटाओं का अंबार है, बदली और बादल का बरसने का इंतजार है, दो दिलों के मिलने का इजहार है, कह दो न सावन की बहारों से मुझे तुमसे […]

मैया दूध पिलाओ ना, भूख लगी है आओ न। दूध पिलाकर,लोरी गाकर, वापिस मुझे सुलाओ न॥ मैया तेरी गोदी मुझको, बहुत सुहानी भाती है। तेरी वाणी ,तेरे हाथों , मेरी निंदिया आती है॥ मैया तेरी बातें,ममता, मेरे मन को हरती है। मेरा अम्बर,पंछी,बादल, तू  ही मेरी  धरती है॥     […]

वक्त है कि थमता नहीं, वह किसी की सुनता नहीं। वह चलती है अपने आप, उसे किसी की परवाह नहीं॥ किसी के लिए रुकता नहीं, वह किसी का मोहताज नहीं। दिन-रात तो चलती रहती, वक्त किसी की सोचता नहीं॥ चाहे हों हम खुशी या गम में, वक्त कभी यह देखता […]

तरोताज़ा सुघड़ साजा,सफ़र नित ज़िन्दगी होगा; जगत ना कभी गत होगा,बदलता रूप बस होगा। जीव नव जन्म नित लेंगे,सीखते चल रहे होंगे; समझ कुछ जग चले होंगे,समझ कुछ जग गए होंगे। चन्द्र तारे ज्योति धारे,धरा से लख रहे होंगे; अचेतन चेतना भर के,निहारे सृष्टि गण होंगे। रचयिता जान कुछ लेंगे,बिना […]

तेरा परिचय जानूगाँ अब’ दूर कहीं सम्बन्धों से। मैंने तुझको मुक्त कर दिया’ प्यार भरे अनुबंधों से। पूछ रही मेरी जिज्ञासा’ मधुमय मिलन कहाँ पर होगा। पूछ रही है प्रीत ये प्यासी’ निर्मल जलधि कहाँ पर होगा। हम प्रेम नगर का पता पूछते’ फिर सावन के अँधों से। मैंने तुझको […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।