है नहीं तब सजा जिन्दगी। जब हुई आशना जिन्दगी। सब खुशी मिल गई तब उसे। हो गई जब फिदा जिन्दगी। रुठकर यूँ चले हो ….कहाँ। अब नहीं है अना जिन्दगी। भूल से पाप जो हो.. गया। फिर हुई है खता जिन्दगी। पालकर झूठ को क्या मिले। सच का’ ही दे […]

चेहरा ये कैसा होता गर आँख नहीं होती. दिल कैसे फिर धड़कता गर आँख नहीं होती. रक़ीब से भी बदतर हो जाते कभी अपने. मालूमात कैसे होता गर आँख नहीं होती. कितना हसीन है दिल चाक करने वाला. एहसास कैसे होता गर आँख नहीं होती. कुर्सी के नीचे बर्छी आखिर […]

नजर चुरा कर तुम यूं न बैठो, तुम्हारी नजरों पर नजर है मेरी। सहज नहीं है मुझे यूं भूल जाना, तुम्हारी सांसों पे जिंदगी बसर है मेरी। कभी हंसा कर थे पास आये, और अब रुला कर तुम जा रहे हो। भले ज़माना तुम्हे कुछ भी कह ले, पर रात-दिन […]

डसता है तन्हाई का विसियर , शर्दी वाला मौसम है। पति को छुट्टी कम मिल पाती , पति फौज में एस एम हैं।। पिछले महीने कहा था मुझसे , अगले महीने आऊंगा । आज फोन कर  बोले मुझसे  , अब ना मैं आ पाउँगा ।। निरीक्षण  साहब का जल्दी होना, […]

ये कैसी रंजिशें हैं? ये कैसी ख्वाहिशें है? जिधर दृष्टि डालो उधर ही तो साज़िशें हैं। इन अजब बन्दिशों का क्रंदन है जीवन, अंधेरे-उजाले का संगम है जीवन।। यहाँ तो हर शख़्स ग़मज़दा सा है, कुछ हारा और कुछ थका-थका सा है। इस हार और जीत के फ़लसफ़े में बस, […]

आज की सुब्ह बाकी गुजरी सुब्ह से अलग थी, सुब्ह आंख खुली तो एहसास हुआ दर्द का, पूरे शरीर में दर्द हो रहा था ! थोडी देर बाद हुआ वही जिसकी आशंका थी, अब दर्द अपनी सारी हदे तोड़ रहा था, पानी के बिना मछली जेसी हालत थी, बिस्तर पर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।