ख़्वाबों को दफनाकर क्योंकि, कितने अंजाम अभी बाकी हैं। पाकर रहेंगे सुदूर मंज़िल को, रूह में हौंसला ए जान, अभी बाकी है।। चढ़ रही है पेड़ पर बेफिक्र गिलहरी, ना जाने कितनी उड़ान अभी बाकी है। तुम डरा कर तोड़ रहे थे मुझको, कर दूंगा साबित, प्रमाण अभी बाकी है।। […]
