मोह मोह के बंधन है,इसे दर्पण नही कहते दिल में जो अपनापन है,उसे अनबन नही कहते तुम जो आज रूठे रूठे से लगते हो अब हमसे ये तो प्यार है दिल का इसे अनबन नही कहते बादल घने है अब ये आसमानो में लेकिन समय से अगर ना बरसे उसे […]

मेरे होने या न होने के कोई मायने नही हैं…. वैसे ही जैसे चिता पर निर्जीव देह…. क्योंकि मायने देह के साथ जुड़े होते हैं और देह से मन… मन की अपनी चाहनाएँ होती हैं और अनेक विवशताएं भी… इन चाहनाओ और विवशताओं से परे हो जाना देह के साथ […]

  * मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किया आंदोलन का शंखनाद *१ करोड़ भारतीयों को बताया जाएगा हिन्दी क्यों होनी चाहिए भारत राष्ट्रभाषा * जनसमर्थन के माध्यम से जुटेंगे भाषासारथी इंदौर। भारत की वर्त्तमान में कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं हैं, और इसीलिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान […]

प्लास्टिक ज़िन्दगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। अमूमन हर चीज़ के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है, वो चाहे दूध हो, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसालें, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, सनैक्स, दवायें, कपड़े हों या फिर ज़रूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा […]

पत्रिका समीक्षा …………….. किसलय साहित्यिक संस्था की अनियतकालीन पत्रिका शब्दध्वज ने कवि एवं सम्पादक पंकज पटरियां की कविताओं पर केंद्रित काव्य संग्रह ” धूप आती तो है ….” का प्रकाशन किया है। नर्मदांचल के साहित्य और पत्रकारिता जगत में पंकज पटेरिया एक लब्ध प्रतिष्ठित  नाम है । शब्द ध्वज जिसके […]

क्यों रखूं मैं धैर्य ? क्या मिला है मुझे धैर्य रखकर ? अधीर हो किसी ने बुलंदी को छू लिया धैर्य रखकर हमने फिसलते वक्त को देखा धैर्यवान को सब पाठ पढ़ा जाते हैं मानों जैसे उसके अवगुण को दर्शा जाते हैं हाँ नाम मजबूरी का धैर्य को दे जाते […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।