बदलती दुनिया  में कुछ इस तरह बसर रखना दुश्मनों से भी गले मिल सको ऐसा हुनर रखना जहाँ भी जाओ इज़्ज़त की चादर तन पर रखना अपनी निगाहों में अदब , बातों में असर रखना चहचहाती चिड़ियों की नस्ल पर नज़र रखना ये ख़त्म ना हो जाएँ , घर में […]

ना कुछ सोचो ना कुछ करो, क्योंकि चाय के प्यालों से होंठों का फासला हो गयी है जिंदगी। भूख से बिलखती रूहों को मत देखो शान-औ-शौकत के भोजों१  में खो गयी है जिंदगी। बस सहारा ढूढ़ते, सड़क पे फट गए जूतों से क्या सुबह शाम बदलती गाड़ियों का कारवाँ हो गयी है जिंदगी। तन पे फटे हुए कपडे मत देखो नए तंग मिनी स्कर्ट सी छोटी हो गयी है जिंदगी। पानी की तड़प भूल कर महगीं शराब की बोतलों में खो गयी है जिंदगी। फुटपाथ पे सोती हजारों निगाहों की कसक छोड़ के इक तन्हा बदन लिए, हजारों कमरों में सो गयी है जिंदगी। हजारों सवाल खामोश खड़े; बस सुलगती सिगरेट के धुएं सी हो गयी है जिंदगी।                      #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 30

  केसरिया आखर से मैंने लिक्खी अपनी प्रेम कहानी तुम अपने अधरों से उसको सिंदूरी कर दो तो जानूं। निर्जीव सभी अक्षर थे; प्राण-प्रतिष्ठा की भावों ने, इस अनुष्ठान के प्रसाद को स्वीकार करो तो मैं जानूं। सूर्योदय से गोधुली तक; कड़ी धूप में रोज़ सुलगता रात उतरती आँगन में; […]

नेह से बंधे धागे प्यार के न तुम संभाल सके न मैं । पूरी करते रहे सभी जिम्मेदारियाँ न पीछे तुम हटे ,न मैं। इक -इक कदम भी आते करीब तो मिट जाती दूरियाँ। एक होने को हमदम न आगे तुम बढ़े, न मैं । खाई थी कसमें फलक तक,साथ […]

जन जी आगे आगे    सजनी भी पीछे भागे      हाथ  लिए झाड़ू आज                खूब धमका रही रात आये पी शराब     बन ठाठ से नबाब       झाड़ने लगे रुआब              अब बतला रही […]

मचानी है तो धूम मचाओ, लेकिन बेटी. बचाओ चाहे उसे सोना न दिलाओ, लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे नाच नचाओ, लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसकी मांग पूरी न हो लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे उसे कम पढ़ाओ लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे चाय पिलाओ लेकिन बेटी बचाओ चाहे उसे पायल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।