लेख उनकी मृत्यु से पूर्व लिखा था #राजेश बादल उस दिन दिल्ली में एक होटल के कमरे में नीरज से दो ढाई घंटे की गपशप हुई ,लेकिन जी नहीं भरा । न मुझे संतोष हुआ और न नीरज को । बोले ,कई साल बाद इस तरह दिल की परतें खुलीं […]

सतपुड़ा की रानी निखर उठती है जब मेघ डेरा जमाते हैं पर्वतश्रृंखला पर। एक दो बरसात के बाद व्ही-फॉल की जवानी लौट आती है। बस सनसेट पाइंट उदास हो देखता रहता है दूर बादलों की धींगा मस्ती। लगता है गीली लकड़ियों को सुलगा दिया है और धुआँ चित्र विचित्र आकृतियों […]

बडो का सम्मान ही दिलाता हमे भी मान जो बडो का सम्मान करे होता उसका गुणगान प्यार के दो बोल चाहिए बस थोड़ी सी देखभाल इतने मे ही खुश रहते अपने पूज्य तू जान जीवन का अनुभव बड़ा सीखा दे सुबह और शाम देख उन्हें मुस्कुरा दो जरा फिर जो […]

दिल कहूँ दिलबर कहूँ दिलदार दिलरूबा कहूँ, कभी तुम्हें सनम कहूँ कभी तुम्हें खुदा कहूँ, ============================ हमसफर तू हमकदम तू हमदम तू हमराज़ तू, तुमको ही मंज़िल कहूँ तुमको ही रास्ता कहूँ, ============================ मौजूद ना होके भी तू हर वक्त मेरे पास है, महबूब मेरे किस तरह मैं तुझको बेवफा […]

जिंदगी में जीने के तरीके बता दे जिंदगी दुःख में जीते कैसे है,?और सुख में आज सवाल है मेरे मन में लेकिन उत्तर नहीं दुःख में आँख से आँशु छलक क्यों जाती है? और सुख में आँख से आँशु कहाँ जाती है? क्या आँशु ही सुख दुःख का अर्थ है? […]

सियासत का खेल भी अजीब निराला है, परिश्रमी कार्यकर्त्ता आसन में और नेता सिंहासन में बैठते है। वह भी भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जहां तंत्र के पहरेदार लोकनीति के दुहाई देते नहीं थकते। वहां उन्हीं के सिपहसालार दुखडा रोते दिखाई देते है कि अब हमारी पूछ-परक कम हो गई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।