प्यार करो ऐसा की नाम हो जाये / नाम करो ऐसा की जुबान पर लोगो के आ जाये / मिलो लोगो से ऐसे की, वो भूलना पाएं / छाप छोडो ऐसी, की हर दिलो में, तस्वीर बन जाये / फिर वो, जीवन पर्यन्त आपको भूलना पाएं / प्यार करो ऐसा […]
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जिस सहर पे यकीं था वो ख़ुशगवार न हुयी देखो ये कैसी अदा है नसीब की समझा था जिसे बेकार, वो बेकार न हुयी मांगी थी जब तड़प रूह बेक़रार न हुयी कहूँ अब क्या किसी से देखकर माल-ओ-ज़र भी मिरि चाहतें तलबगार न हुयीं सोचा था जिन्हे अपना वो साँसें मददगार न हुयीं है अजीब अशआर क़ुदरत की भूल से छोड़ा था जिसे हमने वो निगाहें शिकबागार न हुयीं #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 29
