उतर गये पार संसार-सागर के,   हर मोड़-पड़ाव से आगे,   बहुत आगे;   अब पकड़ से परे,   जकड़ से दूर-   दद्दा (पिता) हमारे….   चार बरस पहले की वह तिथि   राखी के अगले दिन लगते भादों प्रतिपदा   […]

स्त्री अपने सारे दायित्व जनम से लेकर मरने तक निभाती है बिना कुछ कहे सब कुछ सहती है हर पीड़ा हर दर्द वो सह जाती है फिर भी हमेशा दोषी स्त्री ही ठहराई जाती है क्यों?? इस क्यों ? का कोई जवाब नहीं ख़ुद भूखी रहती है बच्चों को पालती […]

आज तीज की शुभ घड़ी आयी, चाँद ने की किरणों से सगाई…! ब्रम्हमुहूर्त ने मंगल गीत गाये, गोधूलि बेला ने दी है विदाई….! मेहन्दी रचाऊँ इन हाँथो में, पिया के प्रेम की खुशबू आये…! महावर लगाऊं मैं पैरों में, सजना तू ही धड़कन में समाए…! बिंदिया सजाऊँ मांग में, तू […]

.              ख्वाहिशें हम से न पूछो, ख्वाहिशों   का  जोर है। सीना  ताने  जो  अड़े है, वही  बहुत  कमजोर हैं। आज जो बनते  फिरे है, वे  शाह  पक्के चोर  हैं। ख्वाहिशें हमसे न  पूछो, ख्वाहिशों का जोर है ख्वाहिशें सैनिक से पूछो, जो  अब  बड़ा  बेजार है। जूझ  सीमा  पर   रहा […]

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के अन्तर्गत समलैंगिकता को कानूनी मान्यता प्रदान की, जो की सभ्य समाज के लिए एक असहज विषय है । हमारी भारतीय संस्कृति विश्व की आदर्श संस्कृतियों में मानी जाती है। भारतीय संस्कृति में जो आचरण मनुष्य के हितैषी है उन्हीं का समर्थन […]

निस्तब्ध -उजाड़ दुपहरी में, उठा हो कहीं बवंडर. भाग रहीं हो आंधियां, विक्षिप्त -सी इधर- उधर. समझ जाना, कोई  कोरा आंचल फटा है किसी ने कोई दुपट्टा छीना है। बिवाइयां फटे सपनों के पांव, दागा है किसी ने सलाखों से. रिसते रुधिर नहीं हैं ये , सिसक रही है कली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।