सारदे, माँ सारदे, शत्-शत् नमन् माँ सारदे! प्रेम,करुणा,न्याय की सद्वृत्तियाँ धुंधला रहीं; नीतियों को छद्म,छल, दुर्वृत्तियाँ झुठला रहीं. इस सदी के त्रस्त जन का सुन रुदन माँ सारदे! सत्य,शिव,सुंदर की शाश्वत- भावना का ही वरण हो; नव सदी में नव प्रभाती राग से जन जागरण हो. शांति,श्रम,समता की सरगम गाएँ […]
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रश्मिरथी ओमपाल सिंह निडर : आंदोलन के सूत्र से अग्निधर्मा कविता तक डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ श्री दुर्गा सिंह व श्रीमती देवकोर की कुक्षी से १० जून १९५० को खुशहालगढ़ (अनूपशहर) बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश की साहित्यिक धरा पर जन्में ओम पाल काव्य कुल के अग्निधर्मा कविता पाठ करने वाले महनीय कवि बने। बी.ए.ऑनर्स, एम.ए. पी.एच.डी. (राजनीतिशास्त्र) तक पढाई करने वाले ‘निडर’ […]
