यकीं का यूँ बारबां टूटना आबो-हवा ख़राब है मरसिम निभाता रहूँगा यही मिरा जवाब है मुनाफ़िक़ों की भीड़ में कुछ नया न मिलेगा ग़ैरतमन्दों में नाम गिना जाए यही ख़्वाब है दफ़्तरों की खाक छानी बाज़ारों में लुटा पिटा रिवायतों में फँसा ज़िंदगी का यही हिसाब है हार कर जुदा, जीत कर भी कोई तड़पता रहा नुमाइशी हाथों से फूट गया झूँठ का हबाब है धड़कता है दिल सोच के हँस लेता हूँ कई बार  तब्दील हो गया शहर मुर्दों में जीना अज़ाब है ये लहू, ये जख़्म, ये आह, फिर चीखो-मातम तू हुआ न मिरा पल भर इंसानियत सराब है  फ़िकरों की सहूलियत में आदमियत तबाह हुई  पता हुआ ‘राहत’ जहाँ का यही लुब्बे-लुबाब है   #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 27

सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है माउंट आबू तीर्थ महान जो भी यहां प्रवास करता आत्म सुख मिलता उसे महान ब्रह्माकुमारी की तपस्या स्थली वाइब्रेशन पॉजिटिव फैलाती है हर किसी की तनाव मुक्ति का कारण ब्रह्माकुमारी बन जाती है शांत मन,सन्तुष्ट गुण,खुश चेहरा पहचान बनी है इन सबकी परमात्म याद मे […]

एक बड़े शहर की पॉश कॉलोनी में बनवारी नाम का सब्जी वाला लगातार सब्जियां बेचने के लिए आता था। वह सब्जी वाला काफी समय से यहां पर सब्जियां दे रहा है और उसका संबंध वहां पर सभी लोगों से बहुत अच्छा है यूं तो बनवारी जो सब्जियां लाता है वह […]

उमंग सा भरा बचपन तरंगों से भरा जीवन द्वेष नहीं कभी किसी मन घर आंगन में फुदकती रहती। चिड़िया जैसी चहकती रहती। हस्ती रहती हर पल माँ-बाप के घर पर। समय है जो रुकता नहीं कभी किसी के पास टिकता नहीं। बढ़ता जाता पल-पल बाँह फैलाए इस चिड़िया को। उमंग […]

डा. स्वयंभू शलभ की पाँचवी किताब ‘कोई एक आशियाँ’ डूरस्टेपशोप्पी सर्विसेस प्रा. लिमिटेड के वेबसाइट पर भी उपलब्ध हो गई है। ग्वालियर स्थित आईटीएम यूनिवर्सिटी के सेमिनार हॉल में बीते सोमवार को आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में कंपनी के वाईस प्रेसिडेंट पवन तिवारी एवं सीईओ प्रभव दुबे ने किताब के […]

शरद जोशी ने कोई पैतीस साल पहले हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे व्यंग्य निबंध रचा था। तब यह व्यंग्य था, लोगों को गुदगुदाने वाला। भ्रष्टाचारियों के सीने में नश्तर की तरह चुभने वाला। अब यह व्यंग्य, व्यंग्य नहीं रहा। भ्रष्टाचार की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही व्यंग्य की मौत हो गई। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।