◆ शिखा अर्पण जैन, इंदौर शब्द बदलें, काम बदला, तारीख़ बदली, साल बदला, केलेण्डर बदलें, युग बदला, पर कही कुछ आज भी बदलने से रह गया है तो वह है समाज की सोच। कहते हैं आज हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं पर हमारा सोचने का तरीका बिल्कुल अट्ठारवीं […]

हे! काग विहग ‘व्यथा ऊर्मिले’ आज तुम्हीं से कहती हूं… अंखियां प्रियतम ढूंढ रही है विरह में बरबस बहती हूं..। मेरे प्रियतम छोड़ गए हैं.. अश्रु भी ना बहा सकूं.. योगिनी गर में बन जाऊं… क्या मर्यादा का त्याग करूं..? पुत्रवधू हूं कौशल की मैं विरह कथा यें कहती हूं.. […]

शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा सौभाग्य दात्री प्रत्यंगे परमेश्वरी दयामूर्ति सिद्धिदात्री कुष्मांडा ह्रदय प्रांगणे अभिनंदन हृदयेश्वरी नवरूपा अष्टभुजा स्कंदमाता महामाया कृपालिनी मंगलमयी दुर्गेश्वरी शिवानी क्षमाधात्री कात्यायनी स्वधा विशालाक्षी त्रिपुर सर्वेश्वरी जंयति मंगलाकारी कालरात्रि अम्बे नमोस्तु सर्वस्वदायिनी भुवनेश्वरि शंखनी कौमारी महागौरी रणमत्ता रणप्रिया सृष्टिकर्ती महेश्वरी सर्वसुख प्रदायिनी सिद्धिदात्री मधुकैटभ विध्वंसनी आद्यशक्ति दंतेश्वरी डॉ […]

कलम जब भी बोलती है सच बोलती है  इन्दौर। शासकीय केंद्रीय अहिल्या पुस्तकालय में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत पुस्तकालय, हिंदी परिवार इंदौर एवं संभागीय पुस्तकालय संघ इंदौर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित मंगलवार को मासिक पाठक संसद में कवियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी रचनाएं सुनाकर ग्रीष्म की […]

विरह की पीड़ा जब लगी, सताने,अधरों ने खींची लाली.. रात तले अंधियारा, मुझसे रह रह पूछे.. तू कोन है ? पर मेरे…….. शब्द सब मौन है। खिड़की से हवाये, घुटन साथ लाई.. सूरज के जलते, पैर….रात अंधेरे को भटका आई… दबे पांव ,चंदा जो, मेरे आंगन आया… तारों का सरदार […]

सृजन, चयन, लेखन के मौलिक गुणों के साथ संसार में स्त्री को सृजक के साथ-साथ कुशल नेतृत्वकर्ता भी माना जाता है, और स्त्री उस दायित्व में भी अपनी अदद पहचान के साथ समाज का गौरव बनकर उभरीभी है, ऐसे सैंकड़ो उदाहरण हमारे सामने उपलब्ध हैं। एक स्त्री को सृजन और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।