समय ये सबसे ही बलवान, बना दे निर्धन को धनवान l   बनाया जिसने इसको मीत, मिलेगी उसको निश्चय जीत l   मगर जब बदली इसने चाल, हो गई सूनी-सूनी डाल l   दिखाई देते सूखे ताल, कभी ये भी थे मालामाल l   इसी ने खेले सारे […]

दिन,कई दिन छिपा रहा जैसे, खौफ़ कोई सता रहा जैसेl सुबह सूरज को नींद आने लगी, अब्र चादर उड़ा रहा जैसेl एक आहट-सी लग रही मुझको, कोई पीछे से आ रहा जैसेl हम मुसाफ़िर हैं एक जंगल में, खौफ़ रस्ता दिखा रहा जैसेl उलझा-उलझा-सा एक चेहरा ही, सौ कहानी सुना […]

मै परीकथाएं लिखती हूँ,क्योंकि जीवन का १५ प्रतिशत यथार्थ,८५ फीसदी कल्पनाओं की परीकथा से ही संवरता है,और मुझे अपना यथार्थ भी परी कथाओं-सा स्वप्निल चाहिएl  कहीं किसी ने मेरी रचनाओं को पढ़कर कहा-`खूब परी-कथाएं लिखिएl` तब से सोचती हूँ हर रोज़.. `क्या गलत करती हूँ जो, हर तरफ लगी साम्प्रदायिकता की […]

हमारे आस-पास सब कुछ प्रकृति है,जो बहुत खूबसूरत पर्यावरण से घिरी हुई है। हम हर पल इसे देख सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं। हम हर जगह इसमें प्राकृतिक बदलावों को देखते,सुनते और महसूस करते हैं। हमें इसका पूरा फायदा उठाते हुए शुद्ध हवा के लिए रोज सुबह […]

ए सनम, तेरे इश्क में पागल भी हम हो चुके हैं…। कांटों से नहीं,हम यहां फूलों से घायल हो चुके हैं…॥ धन-दौलत की चाह नहीं हमें, तेरे मासूम इश्क़ में हम खो चुके हैं…। अपने हमें समझाते रहे दुनिया की वो रवायतें…। हम समझ न पाए तो अपने घर से […]

महाराष्ट्र का इक जनपद, औरंगाबाद प्रसिद्ध हुआ। वहाँ दौलताबाद देवगिरि, का द्विज शिव का सिद्ध हुआ। नाम सुकर्मा औ सुदेश के, थी कोई  संतान   नहीं। शिव भक्ति में लीन सदा थे, पर किन्चित अभिमान नहीं॥ वह सुदेश के ही कहने पर, बहन उसी की घुश्मा थी। ब्याह कर लिया […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।