बचपन में तू शोर शराबे से कितना घबराता था गर थोड़ा सा मैं ना दिखूँ तो तू कितना डर जाता था ॥ दिवाली पर फुलझड़ियों की चिंगारी दिख जाए तो तेज पटाखे के शोर से भाग के घर में आता था ॥ अब गोली बारूदो की आवाज़े कैसे तू सह […]
रश्मिरथी ओमपाल सिंह निडर : आंदोलन के सूत्र से अग्निधर्मा कविता तक डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ श्री दुर्गा सिंह व श्रीमती देवकोर की कुक्षी से १० जून १९५० को खुशहालगढ़ (अनूपशहर) बुलंदशहर, उत्तरप्रदेश की साहित्यिक धरा पर जन्में ओम पाल काव्य कुल के अग्निधर्मा कविता पाठ करने वाले महनीय कवि बने। बी.ए.ऑनर्स, एम.ए. पी.एच.डी. (राजनीतिशास्त्र) तक पढाई करने वाले ‘निडर’ […]
