शास्त्री- बापू तेरे ही देश में लूट रही है अस्मत से बेटियां और बहशी बना है आदमी बापू तेरे देश में । रो रहा है अन्नदाता और भर रही हैं तिजोरिया उद्योग पतियों की लाल बहादुर शास्त्री तेरे देश में। सत्ता बनी है शातिर अपने सिंहासन परस्ती की खातिर शास्त्री-बापू […]
विचारों की परिपक्वता, विस्तार का आभामंडल, सत्य के लिए संघर्ष, सत्य कहने के कारण नकारे जाने का भी जहाँ भय नहीं, अहिंसावादी दृष्टिकोण, उदारवादी रवैय्या, आर्थिक सुधारों के पक्षधर और अंग्रेजों से लोहा लेने में जिन व्यावहारिक कूटनीतिक तरीकों को अपना कर राष्ट्र के स्वाधीनता समर में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका […]
