यदि किसी संस्कृति को समझना है तो सबसे जरुरी है कि हम उस संस्कृति की महिलाओं के बारे में जानें, उनके हालात और परिस्थितियों को समझने की कोशिश करें क्योंकि महिलाएं समाज के वास्तविक चेहरे का दर्पण होती हैं। भारतीय समाज के बारे में देखा जाये तो हम पाते हैं […]

मनुष्य की भांति भाषाओं का भी अपना समय होता है जो एक बार निकल जाने के बाद वापस नहीं लौटता।इसे हम संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश इत्यादि के साथ घटित इतिहास के द्वारा समझ सकते हैं।यह ऐतिहासिक तथ्य है कि आदिकाल में राजस्थानी मिश्रित डिंगल और पिंगल शैली तथा बुंदेली एवं […]

सर उठा कर चल नहीं सकता बीच सभा के बोल नहीं सकता घर परिवार हो या गांव समाज हर नजर में घृणा का पात्र हूँ। क्योंकि “बेटी” का बाप हूँ ।। जिंदगी खुलकर जी नहीं सकता चैन की नींद कभी सो नहीं सकता हर एक दिन रात रहती है चिंता […]

अहिंसा पर हिंसा भारी है कैसी हो गई यह लाचारी है परलोक में बापू आहत है गांधीवाद पर वज्रपात है जय जवान जय किसान का उदघोष चकनाचूर हो गया है शास्त्री का नारा भी कही खो गया है हालात के मारे किसान सड़क पर है हक पाने को बेचारे संघर्षरत […]

बापू तेरे तीन बंदरो का, हम अनुसरण कर रहे है। और आज तेरे जन्मदिन पर, श्रध्दा फूल चढ़ा रहा हूँ। आज़दी तो मिली गई भारत माँ को। पर अबतक समझ नहीं पाया, की क्या मिला इससे हमको।। तेरे बंदर भी है कमाल के, जो संकेत देते है हर बात के। […]

वाह रे राजनीति! अब शब्द ही नहीं बचे कि जिससे उदाहरण दिया जाए। कुर्सी की चाहत में आज सब कुछ कुर्बान! सत्ता के समीकरण में उलझा हुआ देश पूरी तरह से त्रस्त है। अब बस एक ही कार्य रह गया है वह है समीकरण! यह सत्य है कि समीकरण के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।