स्वतंत्र-संस्थानों के कानून- वारांगणानों के हाव भाव- दोनों में है कितनी समानता- कितना मिलाव। चाँदी की चमक के माप पर बदलते भाव,वारा-कन्याओं के- मालिकों के लाभ-हानि के माप पर, बदलते कानून-स्वतंत्र संस्थाओं के। ज्यों हो कोई संगीत कुर्सी का खेल- रुक जाता है संगीत, बजते-बजते। खिलाड़ी हो जाते विवश- चलते-चलते। […]

अब लबों पर इश्क के तराने नहीं आते। लाख खुदाई करो,मगर खजाने नहीं आते॥ घुटन रह-रहकर सारे किस्से बयां करती। अब नकली चेहरे हमें छुपाने नहीं आते॥ घर के बुजुर्गों को चैन से जी लेने दीजिए। अब शहरों में वो दिन बिताने नहीं आते॥ मतलबपरस्ती में लोग आग लगा रहे। […]

बाँधकर दिल को हमारे, मुक्त ऐसे कर दिया। भूल बैठे फर्क भी हम मुक्त हैं कि कैद हैं। हम कहें तो क्या कहें, जो-जो उन्होंने कह दिया। दर्द भी दिल के हमारे, सर्द हैं खामोश हैं। फासला सोचों का है, छाया है,दिल के दरमियां। कौन सच्चा,कौन झूठा, सरपरस्त यह वक्त […]

ओ मानव तुम्हें क्या चाहिए…., शायद तुम खुशी ढूंढ़ते हो… दूसरो को रुलाकर,सताकर, दुख पहुंचाकर,अपने शब्दों से निरावृत कर- माँ-बहनों को सड़कों पर लाकर, तुम खुशी ढूंढ़ते हो….। पर, नहीं….नहीं…., कर लो यकीं.. खुशी यहाँ है नहीं। किसी दर्दे दिल की दवा बनकर तो देखो……। असहायों की दुआ बनकर तो […]

ओ मेरे प्रिय विरोधी, चिर प्रगति-पथ अवरोधी। तुझे नमस्कार है- शत-सहस्त्र प्यार ही प्यार है। क्योंकि, तेरे विरोध की चिंगारियाँ हीं- मेरी महत्वाकांक्षाओं के यज्ञ की- पवित्र रश्मियाँ हैं, आलोक में जिनके- मेरी इच्छाएँ चढ़ती हैं- प्रगति-पथ की सीढ़ियाँ। कैसे कह दूँ मैं- तुम मेरे विरोधी हो… चिर प्रगति-पथ अवरोधी…? […]

देखा है मैंने, भावना सत्य और न्याय को… अर्थ की तराजू मेंं तुलते पवित्र नैतिकता के सूर्य पर, सैकड़ों  प्रवंचनाओं के बादल- घिरते। मरीचिकाओं के रिश्वत केे बल झूठ को हँसते,सत्ता के हाथोंं- पुरस्कृत होते। सत्य को लांछित  हो सरेआम- असहाय रोते।                 […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।