जुबां बन्द कर जख्म खाता रहा, जमाना मुझे आजमाता रहा।। शिकायत नहीं की किसी से कभी, गलत फायदा सब उठाता रहा। जरा-सा पलट के जो देखा मुझे, सुकूँ चैन ये दिल गँवाता रहा। मनाज़िर अनोखा छला रूप का, खता प्यार की ये बताता रहा। इजाजत […]
aalok
आजादी का स्वप्न संजोया..अपनी खुशिंयाँ भूलकर, काट बेड़ियां भारत माँ की..चला निरंतर शूल पर। राष्ट्र दुलारा,आँख का तारा,शेर..ए बब्बर सरजमीं का, भगतसिंह बलिदान हुआ था..हंस फाँसी पर झूलकर। उम्र न जिसको रोक सकी थी..बारुदों के खेलों से, दाँत शेर के जो गिनता था..मौत स्वयं अनुकूल कर। राष्ट्र प्रेम का प्रखर […]