ग़म में ग़ाफ़िल दीवाना इतना, कि ग़म की अंधेरी रात में ग़म ही चिराग़ हो गया। जलती रही उसकी चिता रात भर बिना किसी के आग दिए ही अपने ग़म कि गर्मी से राख हो गया। सहर की हवाओं ने उड़ा दी उसकी चिता की राख फ़िज़ा में दूर कही […]

  * मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए किया आंदोलन का शंखनाद *१ करोड़ भारतीयों को बताया जाएगा हिन्दी क्यों होनी चाहिए भारत राष्ट्रभाषा * जनसमर्थन के माध्यम से जुटेंगे भाषासारथी इंदौर। भारत की वर्त्तमान में कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा नहीं हैं, और इसीलिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान […]

एक दिन मेरे दोस्त को, मैं लगा गुमसुम बोला वो, क्या सोच रहे हो तुम बातें बहुत सी हैं सोच रहा हूँ, क्या सोचूँ, बोला मैं। अलग-अलग हैं कितनी बातें क्या-क्या हैं नए सन्दर्भ विषयो की बिबिधता इतनी चुनना बना जी का जाल। दुःख पे जाऊ जो लम्बे समय तक […]

लोग मेरी मुस्कान का राज पुछते हैं I क्योंकि, मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं की I जिंदगी से जो मिला कबूल किया I किसी चीज की फरमाइश नहीं की I१I मुश्किल है समझ पाना मुझे I क्योंकि, जीने के अलग है अंदाज मेरे I जब जहां जो मिला अपना […]

  भारत देश पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहा हैं, जिसमें तरक्की की गगनचुम्भी इमारतों से लेकर सरपट दौड़ती बुलेट ट्रेन का स्वप्न, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के सहारे देशवासियों के लिए आधारभूत सुविधाओं को जुटाना, राष्ट्रीयता की स्थापना से लेकर आतंक से मुक्ति का महा मृत्युंजय मन्त्र भी जपा जा […]

मेरे दिल कि सरहद को पार न करना I नाजुक है दिल मेरा वार न करना I खुद से बढ़कर भरोसा है मुझे तुम पर I इस भरोसे को तुम बेकार न करना I दूरियों की ना परवाह कीजिये I दिल जब भी पुकारे बुला लीजिये I कहीं दूर नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।