कलम पूजते हम श्रद्धा से, ये हथियार हमारे हैं। बहुत क्रांति रची है इनसे, अगणित अरिदल मारे हैं॥ शोणित नहीं बहाया इसने, और न खुद पर दाग लिया। मिले सारथी जब-जब उत्तम, सारे दुश्मन हारे हैं॥            #अवधेश कुमार ‘अवध’ Post Views: 235

पौ फटते ही जमना तट पर हर रोज राधिका आती थी, घट अंक धरे तट पर बैठी प्रिय राह आँख बिछाती थी। कुछ बीते पल घण्टे बीते सूरज सिर के ऊपर आया, दोपहर गई गिर सांझ हुई राधा का श्याम नहीं आया। दोनों हाथों से घट थामे अपलक दूर तक […]

   तेरे लबों की ख़ामोशी,   अक्सर हैरान करती है। बिन कहे ही यह तो, सब कुछ बयान करती है॥ ख़ामोश अल्फाज़ रहते मेरे, निगाहें बात करती है। अपनी मोहब्बत के किस्से, ये दिन -रात पढ़ती है॥ हीर-रांझा नहीं है पर, सच्चे आशिक हम भी हैं। बे-हया नहीं है मुहब्बत […]

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भीतर-भीतर झांका मैंने, अरमानों की डोली को टूटा-टूटा पाया मैंने। रिश्तों में एक प्यार का रिश्ता हिस्सों में बांटा मैंने, सूना-सूना आखों का मंज़र मन खंडहर-सा होते देखा मैंने। खोखली मुस्कानों में क्रंदन को, छुपते देखा मैंने। साथ होकर साथ न होना, आना और आकर जाना वो दर्द दोनों के […]

त्याग तपस्या में तुम गुरुवर  चतुर्थ काल पर भारी हो,  कैसे कह दूँ विद्यासिंधु तुम  पंचमयुग के अवतारी हो। जिनवाणी भी कहती है सहस्त्र वर्ष हो चौथा काल, एक दिन हो पंचम काल दोनों युग्म समानधारी हो। कैसे कह दूं विद्यासिंधु तुम, पँचमयुग के अवतारी हो। इतने उपवासों की तृषा […]

थक गया हूँ ए-जिंदगी,लड़ते-लड़ते। झूटे फ़रेबी मक्कारों से,भिड़ते-भिड़ते॥ संभल-संभल के संभला हूँ में,गिरते-गिरते। पहुँच गया हूँ इस हाल में,बढ़ते-बढ़ते॥ उतर गया कसौटी पर बस,चढ़ते-चढ़ते। कट गई रातें जीवन अनुभव,पढ़ते-पढ़ते॥ बढ़ गए लोग ख़ुशामदी से यूँ,मंज़िल तक। झूठी तारीफों के पुल बस,गढ़ते-गढ़ते॥ कसीदे पढ़ते-पढ़ते….॥               […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।