मुट्ठी भर खुशियों की खातिर, छटपटाता इंसान अरमानों के आईनों में, बालू से घर बनाता इंसान। यह वह नहीं जानता। कि… उसका यह घर ढह जाएगा एक दिन, बिखर जाएंगे इसके हर कण हो जाएगा एक दिन चूर, ये खुशियां होती हैं थोड़ी इकट्ठा करता है जिन्हें वह चुन, ये […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा