कोहरे की चादर तान कर रात सितारों ने बिताई चाँदनी शब भर, शीत से ठिठुरती रही। देख अपने मित्र चाँद की बेबसी रवि ने झट प्राची से, उष्मित सिंदूरी आँचल डाल दिया। धीरे-धीरे फिर आँच देती अपनी असीमित बाहुपाश किरणों से, कोहरे की चादर समेटने लगा। सूरज के बाहुपाश में […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा