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कभी गद्दार उन्हें कहकर गद्दारी नहीं करते,
मक्कार उनको कहकर मक्कारी नहीं करते।
वो नादां है इतने कि समंदर भी कह उठे,
तूफान उनको कहकर तूफानी नहीं करते।
हो सकता है मेरी गल्फहमी हो फिर भी,
ईमान बिका कहकर बेईमानी नहीं करते॥
हम झूठी शान बताकर सम्मान नहीं करते,
सौ बार दाना फेंककर अन्नदान नहीं करते।
तितलियों की भीड़ में तेजाब की साजिश,
दुश्मन कहकर दोस्ती इंसान नहीं करते।
क्यों दे किसी और को अपने जिस्म की रुह,
हम जान को गंवाकर बेजान नहीं करते॥
दुखा दिल दुखाकर दिखावा नहीं करते,
हम तमाशों में नचाकर तमाशा नहीं करते।
कोई औकात नहीं मेरी सब जानती हूं मैं,
ये गलत बातें बताकर इशारा नहीं करते।
अब दिल की दिल्लगी को दफन कर ‘रानू’,
गुजरी हुई बताकर गुजारा नहीं करते॥
#रानू धनौरिया
परिचय : रानू धनौरिया की पहचान युवा कवियित्री की बन रही है। १९९७ में जन्मीं रानू का जन्मस्थान-नरसिंहपुर (राज्य-मध्यप्रदेश)है। इसी शहर-नरसिंहपुर में रहने वाली रानू ने जी.एन.एम. और बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-नरसिंहपुर है तो सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी हुई है। आपका लेखन वीर और ओज रस में हिन्दी में ही जारी है। आपकॊ नवोदित कवियित्री का सम्मान मिला है। लेखन का उद्देश्य- साहित्य में रुचि है।
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