स्त्री-पुरुष,एक दूसरे के पूरक हैं या प्रतिद्वंदी। यह एक ऐसा प्रश्न या गम्भीर विषय है-जिसका उत्तर हर एक की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कहीं यह समानता के रूप में,कहीं पूरक तो कहीं प्रतिद्वंदी के रुप में देखने को मिलता है। यदि हम पीछे देखें तो पाते हैं सृष्टि में […]

अट्ठावन में आते-आते लगने लगा है, समा गए हैं मुझमें बाबूजी मेरे। हो गई है वही चाल-ढाल झुक गए हैं कंधे, और, स्वभाव में आने लगी है नरमी हाँ,संतोष और असंतोष के बीच बना रहता है द्वंद जरूर, उपजा है जो मानसिक थकान और बेवजह की निराशा से। करता हूँ […]

दीपावली का पर्व ज्यों-ज्यों पास आ रहा था,शोभा के चेहरे की आभा अपनी कांति खोती जा रही थी,जिसे वह चाहकर भी छुपा नहीं पाती थी। उसे यह चिंता सता रही थी कि,अगर दीपावली पूजन पर भी सुमित घर नहीं लौटे तो वह आस-पड़ोस से उठती शंकालु निगाहों को क्या जवाब […]

जान लें सही अर्थों में जिंदगी के मायने। क्योंकि पल भर पहले ही रही है जो जिंदगी, उलझते ही नियति के चक्र में सुपुर्दे ख़ाक हो जाती है। देखते ही देखते राख हो जाती है। यही है सच्चाई जीवन की, पर समझकर भी नहीं समझते हैं हम जिंदगी के मायने। […]

असुरों की टोली ने फ़िर से, कर डाला है भीषण निनाद.. इस देवभूमि पर दानवदल, फैला बैठा जाला-जिहाद। मानव चेतना अचेत पड़ी, क्या फूट गई हिय की आँखें ? लगता है जैसे खण्ड-खण्ड.. धर्मों की बटी हुईं शाखें। सो गए आज क्या परशुराम, खो गए कहाँ पर मेघश्याम.. धर्मों के […]

नहीं चाहिए तुम्हारी झूठी संवेदना,खोखली हमदर्दी, और फरेबी शाब्दिक जुगाली। मत करो मजदूर दिवस की आड़ लेकर मुझे इन्सानी बिरादरी से अलग। कर्म तुम भी करते हो कर्म मैं भी करता हूँ, जिन्दगी से परेशान तुम भी, परेशान मै भी.. तो  फिर सिर्फ मेरी ही बेबसी, लाचारी और बदहाली पर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।