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अन्तर्जातीय विवाहों को समय पर रोक दिया होता, संस्कारों का हनन हमने यूं मूक सहा नहीं होता। तो स्वतंत्रता के नाम पर उच्छश्रंखलता नहीं बढ़ी होती, भव्यता के प्रदर्शन में अश्लीलता नहीं पनपी होती। वक्त रहते सम्भलना हमको यदि आ जाता, ‘लव जिहाद’ का दंश भारत में नहीं पनप पाता। […]

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जीवन की संकरी गलियों में, आज कहाँ यह अटक रहा है… मन मेरा क्यों भटक रहा हैl    क्यों कर दूँ मैं दोष किसी को, क्यों खुद को निर्दोष बताऊँ तीन उँगलियाँ तनी सामने, उँगली एक किसे दिखलाऊँ किसका करूँ घमण्ड बता दो, जीर्ण हुआ तन दुर्बल काया धन-वैभव मद-मान […]

तेरी यादों को दिल के कोने में सम्हाल के रख लिया, जब भी तेरी याद आई उन पलों को याद कर लिया। हसरतें तो बहुत थी तेरे संग जिंदगानी बिताने की, तुम हो नहीं मेरे,ये सोच दिल पर पत्थर रख लिया। दिल के इस झरोखे में तुमको कब से बिठाए […]

हे पार्थ! मेरा अनुनय स्वीकार करो, मेरा थोड़ा भार तुम ले लो। जैसे मैंने तुम्हारा लिया है, माहवारी की पीड़ा नौ महीने की कोख, प्रसव की असहनीय पीड़ा शिशु को स्तनपान कराना, उनका लालन-पालन घर के कामकाज का भार, मेरे ही कंधों पर है… अब तो मैं बाहरी काज भी, […]

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(म.प्र.शासन की शाला सिद्धि योजना पर केन्द्रित) उत्कृष्ट विकास योजना हो शैक्षिक नवाचार भरपूर हो। जिससे सीखें सभी बच्चे, हमारी शाला ऐसी हो॥ आकर्षक शाला परिसर हो, भयमुक्त वातावरण हो। बच्चों संग रिश्ते ऐसे बुनें, कि आनंदमय हर पल हो॥ साफ-स्वच्छ परिवेश हो, सबसे अलग गणवेश हो। ऐसा पढ़ने का […]

खा रहे हैं पाप धन की जो मलाई, क्या करेंगे जिन्दगी में वो भलाई। चाटुकारी कान भरना काम इनका, इनने ही तो देश की जनता सताई। तुम भी खाओ-हम भी खाएं देश का धन, कौन दे ईमान की घर-घर सफाई। पश्चिमी सोचें अभी तक क्यों हैं जिन्दा, जिसकी खातिर जान […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।