बहुत दिनों के बाद रिया भारत आई थी ।रिया ने भारत आते ही सबसे पहले रागिनी को फ़ोन लगाया और कहा ……… जय श्री कृष्णा रागिनी कैसी हो ? मैं भारत आ गई हूँ ,तुम सभी से मिलना चाहती हूँ । बताओ कब फ़ुर्सत में हो तुम सब किसी रेस्टोरेंट […]

समय के साथ-साथ जैसे परिवार के मुखिया का स्वरूप बदलता रहता है, ठीक उसी प्रकार से आज हिंदी का स्वरूप भी बदला हुआ है । हिंदी आज के परिवेश में बुजुर्गियत की सीमा रेखा को पार करने के कगार पर है । शायद इसलिए हमने हिंदी को कुर्सी पर बिठा […]

भारत में अनेक भाषाएं एवं बोलियां है लेकिन उसके बावजूद लगभग हर शहर-क़स्बे में अंग्रेजी में लिखे बोर्ड आखिर गुलाम मानसिकता के अतिरिक्त क्या है? क्या उपरोक्त चित्र प्रमाण नहीं है कि ‘दिनदहाड़े हम निज भाषा गौरव रसातल की ओर ले जा रहे हैं।’ विचारणीय है कि आखिर क्यों  अंग्रेजी […]

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जब-जब राजनीती अपने खोखले अभिमान और दम्भ के कारण राष्ट्र में जातिगत भेद कर करके राष्ट्र का विखंडन करने की सोचेगी, तब-तब राष्ट्र की नस्ले प्रभावित भी होगी और राष्ट्र विखंडन के नित नवीन रास्ते खोज निकलेगी। आज़ादी के बाद जब देश के संविधान के निर्माण के दौरान आरक्षण व्यवस्था […]

घर से निकलते ही काना दिख जाए तो उसे बड़ा अशुभ मानते थेे।लोग रास्ता बदल देते थे या यात्रा रद्द कर देते थे। उन दिनों गाँवों में ऐसे टोटकों का रिवाज था।(टीवी चैनल तो इसे और पुख्ता करने में जुटे हैं) पढे़ लिखे लोग भी झांसे में आ जाते थे। […]

           कहते हैं – सपनों की जड़ किसी व्यक्ति में जितनी मज़बूत होती है, उस व्यक्ति में उन सपनों को पूरा करने की लालसा भी उतनी ही मज़बूत होती है और उन सपनों के साथ जुड़ी उसकी कई आकांक्षाएँ, जो उसके द्वारा निर्मित काल्पनिक संसार की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।