सूर्य लेने लगा अब करवट, दक्षिण से उत्तर की ओर। संक्रमण का समय है आया, अब आएगी फिर नई भोर। पतंग और माँजे के संग में, है बच्चों का कलरव शोर। मौसम भी अब बदला-सा है, प्रियतम-सा लगता चितचोर। गुड़-तिल का यह संयोजन है, मधुर हो मन ज्यों नाचे मोर। […]
काव्यभाषा
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