हाँ में दीमक हूँ, घर दिवारों पर खिड़कियों पर, किताबों में पुरानी समानों पर मिट्टी के अन्दर अपना रैनबसरे बना लेती हूँ, धीरे-धीरे फैलती जाती हूँ जैसे बरगद की लताएं हों। मैं कहीं भी जाऊँ, अपना स्थान घेर लेती हूँ या यूँ कहें एक सुरक्षित दायरा बना लेती हूँ, मैं […]

फटे-पुराने  कपड़े पहने हुए, चेहरे पे झुर्रियां छाए हुए.. मुँह  लटकाए हुए, हाथ में कटोरा पकड़े.. कांख में पोटली दबाए हुए, माथे पर बदकिस्मती की तकदीर धारियों में लिखाए हुए, उल्टी-पुलटी चप्पल पहने.. बेतहाशा सड़कों पे, तो कभी गली कूचों में.. इधर-उधर चलते-फिरते, दिखने में साधु लगता.. पर है भिखारी, […]

मेरे हिस्से में रात आई, रात का रंग काला है इसमें कोई दूजा रंग नहीं मिला, इसलिए सदा सच्चा है मेरी ज़िन्दगी भी अकेली है, कोई दूजा ना मिला। फिर दिन का हिस्सा, सफेद रंग का है जो दूजे रंग से मिल बना, झूठा-सा दिखता है फिर भी जीवन में, […]

‘ना’ कहने की मिली इतनी बड़ी सजा, जो एक खौफनाक परछाई बनकर मेरे सपनों का सदा ही करती रहती पीछा। हाँ कहती तो भी लूटते मुझे,बाद में अपशिष्ट समझ फेंक देते। प्यार तो दिल से होता है, कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं मैं कैसे  ‘हाँ’ कह देती उसको, ‘ना’ कह दी जब […]

ना मैं हिन्दू हूँ, ना मैं मुस्लिम हूँ.. मैं केवल पशु हूँ। बेजुब़ान हूँ ग़र जुबां होती तो तुमको बतलाती, मैं क्या चाहती हूँ। मैं भी जीव हूँ, मुझे भी जीने दो मुझे भी प्रेम करने दो, मुझे भी अपनी पीढ़ी को अगली पीढ़ी में ले जाने दो वरन् मैं […]

‘मैं’ हूँ मेरे अस्तित्व में, किसी और के अस्तित्व में नहीं यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ अन्य मानव व पेड़ पौधों व जीव-जन्तुओं की भाँति, स्वयं सांसें लेता हूँ यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ अपनी उत्तरजीविता के लिए नित्य जीवन संघर्ष करता हूँ, यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ मेरे नाम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।