रात और दिन

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kumari archana
मेरे हिस्से में रात आई,
रात का रंग काला है
इसमें कोई दूजा रंग नहीं मिला,
इसलिए सदा सच्चा है
मेरी ज़िन्दगी भी अकेली है,
कोई दूजा ना मिला।
फिर दिन का हिस्सा,
सफेद रंग का है
जो दूजे रंग से मिल बना,
झूठा-सा दिखता है
फिर भी जीवन में,
विविध रंगों को भरता है
वो कहाँ गया!
जो मेरे दिल को भाता था,
शायद गुम हो गया
रात के काले में।

                                                                                 #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला हरिश्चन्द्रपुर(पूर्णियाँ) की निवासी हैं।

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