मानव जीवन के लिए नींद , शांति , आनन्द , हवा , पानी , प्रकाश और सबसे ज्यादा हमारी सांसे, बेहद जरूरी है क्योंकि इनके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। अनमोल तो ये हैं ही, पर ये निःशुल्क भी है,यही वजह है कि लोग इसकी अहमियत […]

खुद ही छपवा कर खुद बेच रहे हैं कर हम सहित्य की देख रेख रहे हैं । फेसबुक,व्हाट्सप ट्वीटर के जरिए महफ़िलें और मुशायरे में पेश रहे हैं । एक से बढ़ कर हैं यहाँ मंच उप्लब्ध ओपेन माईक पर रोटियाँ सेंक रहे हैं । साझा संकलन,काव्य संग्रह के नाम […]

आग देशभक्ति वाली… आग देशभक्ति वाली, सीने में मेरे ज़िंदा है, अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं, आग देशभक्ति वाली.. आग देशभक्ति वाली, सीने में मेरे ज़िंदा है, अब तक भी ना मिला लक्ष्य, ये सोच सभी शर्मिंदा हैं।। मन को कर ले सख्त… मन […]

मनुष्य सबसे सुन्दर है प्राणी, सबसे ही बोले बहुत मीठी वाणी। देह तो है परिधान अपना, वसुधा ही है इक रंगमंच अपना। सत्यपथ पर चलते ही जाना, जीवन को ना तुम मलिन बनाना। कर्मों की शुचिता हो जीवन में सबकी , बने धन्य जीवन महिमा हो सबकी। मनुष्य तो है […]

* *प्र* गति को उसकी भाभी दिव्या ने करण का मोबाइल नंबर लाकर दिया। दिव्या चाहती थी कि प्रगति स्वयं करण से बात करे। बाहर जाकर मिले-जुले ताकी दोनों के परस्पर विचार सांझा हो सके। वे दोनों एक-दूसरे के विषय में अधिक से अधिक जाने, जिससे विवाह उपरांत कोई परेशानी न […]

उसुल ईमान धरम सब बाजार हो गया सत्तापक्ष का गुलाम अखबार हो गया। जिसने रोते चेहरे पे कभी हंसी लाई नही पता नही वो कैसे क्या पत्रकार हो गया। जिंदगीभर रहे जिसके दो नम्बर के धंधे वो आदमी समाज का सरदार हो गया। साथ बैठ पुलिस के खाते पीते देखा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।