“ताजी हरी सब्जी ले लो” रोज की तरह सब्जी बेचने वाली मीना की आवाज़ अपने नियत वक्त पर मोहल्ले में गूँज उठी। नन्ही इशा झट से दरवाजे की ओर दौड़ पड़ी और मीना को रोकते हुए बोली- सब्जी वाली चाची रुकिये, रुकिये। इशा की माँ अनु ने मीना को जाने […]

आदमी की पहचान- उनका स्वाभिमान हो. बड़ी खूबसूरत संरचना- है वो संसार की. रवि की रश्मियाँ लिये- बहती नदी की धार-सी. सदा बचा रहे सम्मान- जैसे रेत का निर्माण हो. सोना और निखरता जैसे- दहकते अंगारों के बीच. हाथ मलते रह जाते- कोयले बेसहारों-से नीच. बेइमानी की लपटें बूझती- अपने […]

आज हर शाम तन्हा गुजर जाती है, किसी की याद में आंखे भर जाती है, बेचैनियों में काटती है मेरी राते, हर रात तन्हा गुजर जाती है, कोई शामिल नही मेरे दर्द में तेरे सिवा, अब हर कोई गैर नजर आता है, कोई रूबरू हो अगर मेरी ज़िंदगी की कहानी […]

तू सपने दिखाती  थी कहानी सुना-सुनाकर कहाँ चली गई हो अब मुझे इस तरह भुलाकर। पर लगता है मुझे ऐसा तुम सपनो में आती हो ममता को बिखेर कर प्रेम संगीत सुनाती हो। तपी धूप की जिंदगी में तुम छाँव कर जाती हो नफरत की हर जगह में प्रेम ठाँव […]

तन की सुंदरता क्षणिक है मन की सुंदरता अविराम तन को लेकर अहंकार कैसा फिसलती रेत ही जान जो आज है वह कल नही फिर तो यह तन भी नही आत्मा सदा ही रहती अमर तन तो वस्त्र है कितने ही बदल देहभान छोड़कर विदेही बनो परमात्मा के प्यारे बच्चे […]

काश ! मैं भी ले पाता… परीक्षा की परीक्षा.. कसता उसे हर कसौटी पर जाँचता.. उसकी सच्चाई ज्ञान, योग्यता.. मैं भी दे पाता उसे अंक, निकालता उसका प्रतिशत. हानि लाभ. गुण अवगुण.. उसको भी मिलता.. अनुक्रमांक.. वो भी लगती लाईन में.. बैठती .. कतारबद्ध. उसे भी मिलता जीवन का प्रश्नपत्र […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।