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अभी-अभी तो निकला था, खेलने,हाथ में गिल्ली-डंडा लिए। अभी-अभी तो ढूँढ रही थी, अम्मां,हाथ में डंडा लिएll अभी-अभी तो डांट रहे थे, बाबूजी, पढ़ने के लिए। अभी-अभी तो मैं कह रहा था, मां से,मेले चलने के लिए ll अभी-अभी तो टोक रहे थे, मास्टर जी,फीस के लिए। अभी-अभी तो बाबूजी […]

जिन्दगी की राहों में अगर तू नहीं। तो और चलने की अब जुस्तजू नहीं॥ आहिस्ता से छूना पुराना लिबास हूँ। यादों के सिवा अब बची कोई रफू नहीं॥ अजीब सिरफिरा हो गया है मेरा दिल। हर पल तेरी ही याद पर तेरी आरजू नहीं॥ तेरे शहर के लोग जिसे कह […]

इस कदर तनहाई का हुआ है आलम। आईने में खुद को देखूँ तो कोई और नजर आता है। भूले-भटके कोई आए भी खुशी का पल। देख भी न पाऊँ और झट से गुजर जाता है। बड़ा अजीब हाल देखा है रिश्तों के दरम्यां। दिल में रहने बाला ही क्यों दिल […]

मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो… परेशान-सा हो गया हूँ तुम सबकी बातें सुन-सुनकर, अब मुझे खुद में हँस के,खुद में ही रो लेने दो… नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे, मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो। नफरत-सी हो गई है मुझे अब इस दुनिया से… […]

ढल गया चाँद रात को लेकर, नींद न आई किसी बात को लेकर। कई सवाल लड़ते रहे यूँ आपस में, हम चले आए अपने जज्बात को लेकर। कसकर मुठ्ठी में कुछ ख्वाब छिपाए थे, बैठे रहे रात भर डरे हाथ को लेकर। हँसी चेहरे पर रखो भले ही झूठी हो, […]

मिल गए नैन से नैन, भरमा गए, जग हमारे दिलों बीच अरमा गए। मैं उन्हें देखकर क्या करूँ,क्या कहूँ, देखकर वे मुझे,आज शरमा गए॥ फलक से पूर्णिमा का चाँद धरती पर उतारा है, बहुत मासूम सुन्दर शुभ्र कोमल और प्यारा है। भला कैसे बना दूँ मैं उसे गुलजार-ए-महफ़िल, कई रातों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।