जुल्फ-घनेरी बिखरी-बिखरी झील सी आँखें नीली-नीली। नजर हमारी ठहरी-ठहरी बात तुम्हारी बिखरी-बिखरी। मन चंचल मचल-मचल अल्हड़ बनाए डगर-डगर। ठिठक जाए संभल-संभल होठ गुलाबी संवर-संवर। चाल शराबी कमल-कमल नशीली आदाएँ कहर-कहर। बात का जादू सफल-सफल मदहोश करती पहर-पहर। लो आ गयी गहरी-गहरी रात निराली ठहरी-ठहरी चाँद की चाँदनी फैली-फैली खूबसूरती तुम्हारी […]

प्रभात नव नभ अम्बर प्राची के आँचल में पडा करुण अरुण दिखा, विधि की निधि देखो विधि ने रवि की क्या करुणामय विधि लिखा । जून में अरुण तरुण तरुणी के तन मन को तपाकर खुश होता है, देखो अरुणिमा अरुण का तेज शीत पावन पवन पौष में खोता है […]

जर्जर डाली है फूल,मुझे झरने दो मैं झरकर हूँगा शांत किसी कोने में फिर व्यर्थ न दुख होगा मुझको रोने में मैने देखा संसार,पता है सुख क्या है चार दिनों का सुख नीरस जीवन में मुट्ठी भर मुझको धूल आज धरने दो जर्जर डाली है फूल,मुझे झरने दो। साथी सपने […]

जिस माँ ने जन्म दिया उसका मानो उपकार तुम्हारी खुशी के लिए वह लुटाती रही प्यार स्वयं कष्ट सहकर वह तुम्हे सुख देती रही तुम्हारे चेहरे की मुस्कान को अपना दर्द छिपाती रही माँ के ऋण से मुक्त तुम कदापि हो सकते नही माँ से बढ़कर मीत अपना तुम कभी […]

तुम रूठना सही मनाने आऊंगा जिंदगी के खेल में हार जाऊँगा जो गम लील रहे खुशियाँ तेरी क़सम उन्हें दूर तुझसे भगाऊंगा मेरी आगोश में प्यासा मरे कोई मन्जूर दिल कैसे ये कर पाऊँगा आहवान करता हूँ जिंदगी तेरा तेरा साथ मरते दम निभाऊंगा कलकल करती भाव से मेरी कविता […]

हल्दीघाटी समरांगण में, सेना थी दोनो तैयार। मुगलों का भारी लश्कर था, इत राणा,रजपूत सवार। भारी सेना थी अकबर की, .        सेनापती मुगलिया मान। भीलों की सेना राणा की, .      अरु केसरिया वीर जवान। आसफ खाँन बदाँयूनी भी, .     लड़ते समर मुगलिया शान। शक्ति सिंह भी बागी होकर, .     थाम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।