छोड़ दो मिथ्या दुनियां सार्थक जीवन के लिए। इससे बड़ा सत्य कुछ और हो सकता नहीं। चहात अगर प्रभुको पाने की हो । तो ये मार्ग से अच्छा कुछ और हो सकता नहीं।। छोंड़ दो…….।। मन में हो उमंग प्रभु को पाने की। करना पड़ेगा कठिन तपस्या तुम्हें। मिल जाएंगे […]

भावनाओं से ही भाव बनतें है। भावों से ही भावनाएं चलती हैं। जीवन चक्र यूँही चलता रहेगा। बस दिल में आस्थायें रखो तुम सब।। कहते है जीवन बहुत अनमोल है। हर पल हर घड़ी जीना जरूरी है। मूल सिध्दांत ये कहता है । खुद जीओ औरों को भी तुम जीने […]

लब पे मुस्कान आंखो मे नमी बहुत है तेरी कमी के अलावा भी कमी बहुत है। तुम्हे मुबारक हो आसमां की बुलंदियां मेरे जीने के लिये तो ये जमीं बहुत है। .. .. .. .  है पता कि उसके वजह से बरबाद मेरा जीवन है फिर भी उसे एक बार […]

तिनका तिनका जोड़कर, पहुंचे है यहां तक। अब में कैसे खर्च करे, बिना बजह के हम। जहां होती है जरूरत, बहुत करते है खर्च। पर में फिजूल खर्च, के हूँ खिलाप बहुत।। कैसे में लूटा दूं , अपनी मेहनत का फल। सदा सीख में देता हूँ, अपने बच्चो को। समझो […]

बहुत प्यारी है तेरी हंसी। जिस का में दीवाने हूँ। मुस्कराती हो हल्का सा तुम । फूल दिल में खिल जाते है।। कसम खुदा की क्या बनाया है। लगता है फुरसत में तुम्हें सजाया है। कुछ तो किया होगा तुमने ? तभी तो खुदा ने इतना सुंदर बनाया हैं।। बहुत […]

किया नहीं जीवन भर कोई काम। सोता रहा सुबह हो या शाम। न कि कभी भी किसी की चिंता। इसलिए कहलाये आलसी राम।। किये थे पूर्व जन्म में, अच्छे कर्म। तो मिल गया बड़े घर में   जन्म। इसलिए नही करते कोई कामधाम। फिर भी किये जा रहे है, बापदादा की […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।