जब भी बदलती है सरकार बदल जाती हैं नीतियाँ नई नीतियाँ बनाती है सरकार अपने बाप के नाम पर बदल जाती हैं पुरानी नीतियाँ जो थीं पुरानी सरकार के बाप के नाम पर बदल जाती हैं छात्र-छात्राओं की पुस्तकें हो जाते हैं शामिल पाठ्यक्रम में नई सरकारों के बाप निकाल […]

मैं लोगों से अक्सर सुनता हूँ कि जातीय बंधन ढीले हो गए लेकिन मेरे शहर में जातियों ने हर चौंक पर कर लिया कब्जा हर धर्मशाला में कर लिया अपना निवास हर मुहल्ले को दे दिया अपना नाम जाति आधारित संस्थाएं संघर्षरत हैं अपना दबदबा कायम रखने के लिए मुझे […]

आज भी सजा था मंच सामने थे बैठे असंख्य श्रद्धालु गूंज रही थीं मधुर स्वर लहरियाँ भजनों की आज के सतसंग में आया हुआ था एक बड़ा नेता प्रबंधक लगे थे तौल-मौल में प्रवचन थे वही पुराने कहा गया ‘हम हैं संत’ संतों ने क्या लेना राजनीति से समस्त श्रद्धालुओं […]

  सुबह-सुबह पड़ती है कानों में गुरद्वारे से आती गुरबाणी की आवाज तभी हो जाती है शुरु मंदिर की आरती दूसरी ओर से आती हैं आवाजें अजानों की नहीं समझ पाता किस से मिल रही है क्या शिक्षा सब आवाजें मिलकर बना डालती हैं धर्म की खिचड़ी #विनोद सिल्ला   […]

मुझे खूब दबाया गया सूलियों पर लटकाया गया मेरा कत्ल भी कराया गया मुझे खूब रौंदा गया खूब कुचला गया मैं बाजारों में निलाम हुई गली-गली बदनाम हुई तख्तो-ताज भी खतरा मानते रहे रस्मो-रिवाज मुझसे ठानते रहे जबकि में एक पावन अहसास हूँ हर दिल के आस-पास हूँ बंदगी का […]

जब भी आता था डाक बाबू लिए हुए डाक मुहल्ले भर की उत्सुकतावश हो जाते थे एकत्रित उसके चारों ओर मुहल्ले भर के लोग करते थे चेष्टा जानने की किसकी आई है चिट्ठी आजकल तो लाता है डाकबाबू कोई न कोई नोटिस या मोबाइल का बिल प्रेम-पत्र या सुख संदेश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।