पुस्तक समीक्षा………… वही कविता भविष्य की यात्रा तय कर पाती है जो हमारे जीवन से जुड़ी हो। उसके भाव हमारे दिल की उपज हो या दिल द्वारा ग्राह्य। जो सरलता,सहजता, सार्थकता,माधुर्य,प्रासाद एवं स्पष्ट कथन के संगम पर पाई जाती हो। रस की निष्पत्ति स्वाभाविक रूप से दिल के रास्ते चेहरे […]

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‘भूख’ अपने-आप में एक स्वाभाविक बीमारी है,जिसकी अतृप्ति का नाम ‘तड़प’ है। इस तड़प को बिना रोक-टोक के ‘बेसहारा’ के यहाँ आश्रय मिलता है और अगर बेसहारा ‘औरत’ हो तो सोने पर सुहागा अर्थात् सदा-सर्वदा के लिए रहने का अधिकार मिल जाता है। एक बेसहारा औरत का जीवन बेहद जोखिम […]

पाल-पोसकर बच्चे को विद्यालय भेजा। अँगड़ाई लेते सपनों को खूब सहेजा॥ तन मन धन को काट,उसे भरपूर पढ़ाया। हर उपाधि के साथ,आरजू बीज उगाया॥ कर कठोर व्रत,साध साधना शिक्षा पाई। वक्ष पिता की चौड़ा,माई अति मुस्काई॥ लेकर उपाधि साथ,चला रोजी को पाने। हुई रोटियाँ दूर, उपाधियां लगी चिढ़ाने॥ यहाँ-वहाँ धकियाया,बेबसी […]

पुस्तक समीक्षा………………. प्राचीनकाल से बिहार संस्कृति और साहित्य के सन्दर्भ में समृद्ध रहा है और आज भी इसका कोई सानी नहीं है। समय-समय पर समाज के पथ प्रदर्शक और विरासत के संवाहकों को पैदा करने की जिम्मेवारी यहाँ की उर्वर भूमि ने ली है। ग़ज़ल के आसमान में बहुतेरे जुगनुओं […]

हो ऐसी शुरुआत कि रिश्ते पावन होवें। हृदय वेदना तोड़ बंध रिश्ते न खोवें॥ अपने कारण दर्द किसी आँखों में आया। सोचो खोया बहुत नहीं कुछ हमने पाया॥ जीवन है संग्राम किन्तु लड़ दानवता से। केशव को कर याद पावनी मानवता से॥ धर्म-कर्म परमार्थ पिनाक उठाना होगा। अवध न जाए […]

सूरज,पृथ्वी,चाँद,घूमते तेरे कारण। तुझमें ही है आदि अंत,तुमसे जग तारण॥ माया मत्सर मोह लोभ सब तेरे अनुचर। रोम-रोम अधिकार होय जल-थल या नभचर॥ काल अकाल विकाल तुम्हारे हैं सब साधन। कर्म भाग्य दुर्भाग्य बसे तेरे ही आनन॥ भटक रहा मैं हाय,मार्ग दिखलाना होगा। अवध न जाए हार,अवधपति !आना होगा॥ #अवधेश […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।