जाने कौन-सा धन मुझमें देखा! जाने क्यूँ मुझसे रुठ गई गरीबी रेखा।। लाख चाहा मैंने इसके नीचे आऊँ, इसके कदमों तले बिछ जाऊँ और पा जाऊँ छोटा कूपन, अब नहीं सही जाती मुझसे मँहगाई की तपन।। हे ! गरीबी की रेखा माता मुझ पर तू हो जा प्रसन्न, ताकि मैं […]
आलोचना
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